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कविता

देखता रहा

मत्स्येंद्र शुक्ल


कठफोड़वे से बात क्‍या करूँ -
कुट-कुट काट रहा
पेड़ का पुष्‍ट तना
बोलता सिर घुमा
बात करना है मना
देखते नहीं!
चिड़ियाँ उदास बैठी हैं
रात्रि-वास का भरोसा
उन्‍हें देना तत्‍काल
बच्‍चे खेलेंगे सुरक्षित कोटर में
कठफोड़वे के शब्‍द सुन
आश्‍चर्यचकित :
देखता रहा शुभ्र आ‍काश
आँखों में भर गया प्रेम का प्रकाश


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